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होली पर निबंध 2022 | Holi per nibandh | Holi eassy in hindi

 Holi eassy in hindi: होली पर निबंध (Paragraph on holi) विद्यालय के कक्षा एक से दस के विधार्थियों से पूछे जाते हैं। कई विद्यालय में 

 


निबंध प्रतियोगिता परीक्षा (Holi par eassy) भी होती है, इसलिए आज मैं इस लेख के जरिए आपकी थोड़ी मदद कर देता हूँ। इस लेख में होली पर निबंध (Holi per nibandh) को कई प्रकार से लिखा गया हैं जैसे :  

  • होली पर 10 लाइन (Holi par nibandh)
  • होली पर 15 लाइन निबंध (Holi essay in hindi)
  • होली पर निबंध 150 शब्द (Holi par nibandh hindi mein)
  • होली पर निबंध 200 शब्द (Holi par nibandh in hindi)
  • होली पर निबंध 250 शब्द (Holi ka nibandh hindi mein)
  •  होली पर निबंध 500 शब्द (Holi ke upar nibandh) 
  • मेरा प्रिय त्योहार होली निबंध हिंदी (1000 शब्द )

होली पर 10 लाइन (Holi per nibandh - Holi essay)

Holi eassy in hindi 10 lines : होली पर 10 लाइन class 1 to 3

  1. रंगों का त्योहार होली भारत में बड़े उत्साह और हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता हैं। 
  2. यह त्योहार प्रत्येक वर्ष फाल्गुन महीने में पूर्णिमा के दिन को मनाते है। 
  3. रंग-बिरंगी होली देश में प्रेम और भाईचारे की बंधन को मजबूत करती है, क्यूँकि इस त्योहार में सभी जाति-धर्म, दुश्मनी, झगड़े आदि को भूल कर एक-दूसरे को प्यार से रंग लगते है। 
  4. पौराणिक मान्यता के अनुसार यह पर्व होलिका नामक दुष्ट राक्षसी के मृत्यु को एक उत्सव के रूप में मना कर शुरू हुआ था।  
  5. होली के एक दिन पहले राक्षसी होलिका का पुतला जलाया जाता है।  
  6. होली के दिन सभी एक-दूसरे को रंग और गुलाल लगते है। बच्चे कई दिन पहले से रंग-पिचकारी से खेलना शुरू कर देते है। 
  7. कृष्णा नगरी ब्रज, वृन्दावन, मथुरा, बरसाना, काशी की होली में शामिल होने के लिए देश-विदेश से लोग आते है। 
  8. इस दिन घरों में स्वादिष्ट पकवान बनाये जाते हैं। 
  9. वर्तमान समय में इसमें कुछ दोष आ गया है जैसे रासायनिक रंग और गुलाल जो त्वचा को हानि पहुंचते है का प्रयोग, जबरन किसी को भी रंग व नालियों में डूबो देना। 
  10. उत्साह से भरे इस त्योहार को हमें पारम्परिक रंगों और गुलालों से ही मनाना चाहिए, ताकि यह परंपरा अमर रहे।     
Note- Essay का सही spelling 

होली पर 15 लाइन निबंध ( Holi eassy in hindi )

  1. होली हिन्दुओ के महत्वपूर्ण त्योहारो में से  एक है। 
  2. होली का त्योहार प्रेम और भाईचारे का प्रतीक है क्यूंकि यह पर्व देश में सभी लोग जाति-धर्म भूला कर एकसाथ मनाते जाता है। 
  3. यह त्योहार फ़ाल्गुन महीने में पूर्णिमा के दिन धूम-धाम से मनाया जाता हैं।
  4. माना जाता है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रह्लाद को बचाकर राक्षसी होलिका को दण्डित किया था। होलिका की मृत्यु की ख़ुशी में सभी लोग एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगाकर उत्सव मनाया था। 
  5. आज भी होली के एक दिन पूर्व होलिका के पूतले को जलाया जाता है। 
  6. होलिका दहन के लिए सभी लोग अपने-अपने घरों से जलावन के लिए सामान देते हैं। 
  7. वास्तव में यह जलावन का सामान अपने मन के नकारत्मक भाव होते है, जिसे आग में दे कर नष्ट करना का सन्देश होता है।
  8. होली का त्योहार होलिका दहन से प्रारम्भ हो जाता है। पूर्णिमा के दिन सुबह से सभी एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगते है। बच्चे पिचकारी में रंग भर कर सभी को रंग लगते है। 
  9. शाम को सभी मित्र मिलकर स्वादिष्ट पकवान का आनन्द लेते है। बच्चे बड़े-बुजुर्ग को गुलाल लगाकर उनसे आशीर्वाद लेते है। 
  10. ब्रज, वृन्दावन, मथुरा, बरसाना, व काशी की होली में शामिल होने के लिए देश-विदेश से लोग आते है। यहाँ सात दिनों तक होली का आनंद लिया जाता है। 
  11. होली का त्योहार प्रेम और भाईचारे का त्योहार है, सभी लोग जाती-धर्म भूल कर एक-दूसरे को रंग लगते है। सभी मित्र-रिश्तेदार काम से छुट्टी लेकर एकसाथ मिलते है।   
  12. होली के उत्साहपूर्ण पर्व में अब कुछ त्रुटियां आ गयी है, व्यापारी रंगों से ज्यादा लाभ कमाने के लिए रासायनिक और त्वचा को हानि पहुंचने वाले रंग बाजार में बेचने लगे है। 
  13. बच्चे गुब्बारे में रंग डालकर दूर से एक-दूसरे को मरते है, जिससे कई बार गंभीर चोट लग जाती है। 
  14. असामाजिक लोग जबरन लोगों को कीचड़ व नालियों में डूबो देते है, कपड़े फाड़कर उन्हें लज्ज़ित किया जाता है।
  15. हमें इन असामाजिक व्यवहार से बचना चाहिए और इस पावन पर्व को पारम्परिक ढंग से मनाना चाहिए।    

होली पर निबंध 100 शब्द (Holi festival for kids)

होली रंगों का त्योहार होता हैं। इसे फाल्गुन माह के पूर्णिमा में पूरे उत्सुकता से मनाया जाता है। रंग-गुलाल लगा कर सभी इस त्योहार का आनंद लेते हैं। 

प्राचीन मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा करते हुए राक्षसी होलिका का वध किया था। इस ख़ुशी में सभी लोग एक-दूसरो को रंग-गुलाल लगाकर उत्सव मनाया था। 

होली त्योहार पूर्णिमा के पूर्व संध्या होलिका का दहन से होता है। होलिका दहन के बाद सुबह रंग-गुलाल खेल कर सभी एक-दूसरे को बधाई देते हैं। बच्चे पिचकारी से सभी को रंग डालते है। शाम को पकवान का आनंद लेते है। 

शाम को सभी बड़ो का आशीर्वाद लेते है। ये त्योहार प्रेम और भाईचारे का सन्देश देती है।   

होली पर निबंध 150 शब्द (Holi festival essay)

होली का त्योहार हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक हैं। इसे पूरा देश जाति-धर्म भूलकर साथ में मनाते हैं। यह पर्व फाल्गुन महीनें में पूर्णिमा के दिन मनाते हैं। 

मान्यता है की इसी दिन भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा करते हुए राक्षसी होलिका का वध किया था। होलिका वध की ख़ुशी में सभी लोगों ने गुलाल लगा कर एक-दूसरे को बधाई दी और इसे एक उत्सव के रूप में मनाया। तब से यह परंपरा चली आ रही है।   

होली की पूर्व संध्या होलिका का दहन किया जाता है। होली के दिन सभी मित्र-रिश्तादाओं के घर जाकर रंग-गुलाल लगाते। बच्चे पिचकारी से सभी को रंगने की कोशिश करते है। शाम के समय सभी गुलाल लगाकर बड़ो का आशीष लेते हैं।    

समय के साथ इस उल्लास भरे त्योहार में भी कुछ त्रुटि आ गयी है। इस दिन लोग शराब का सेवन, प्राकृतिक रंगों के बजाय हानिकारक रासायनिक रंगों का प्रयोग इत्यादि। 

हमें होली अपने पारम्परिक ढंग से ही मनाना चाहिए। 


होली पर निबंध 200 शब्द (Holi par eassy)

 रंगों का त्योहार होली भारत में बड़े उत्साह और हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता हैं। यह त्योहार प्रत्येक वर्ष फाल्गुन महीने में पूर्णिमा के दिन को मनाते है। रंग-बिरंगी होली देश में प्रेम और भाईचारे की बंधन को मजबूत करती है, क्यूँकि इस त्योहार में सभी जाति-धर्म, दुश्मनी, झगड़े आदि को भूल कर एक-दूसरे को प्यार से रंग लगते है। 

माना जाता है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रह्लाद को बचाकर राक्षसी होलिका को दण्डित किया था। होलिका की मृत्यु की ख़ुशी में सभी लोग एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगाकर उत्सव मनाया था। 

होली के दिन सभी एक-दूसरे को रंग और गुलाल लगते है। बच्चे कई दिन पहले से रंग-पिचकारी से खेलना शुरू कर देते है। कृष्णा नगरी ब्रज, वृन्दावन, मथुरा, बरसाना, काशी की होली में शामिल होने के लिए देश-विदेश से लोग आते है। 

होली का त्योहार प्रेम और भाईचारे का त्योहार है, सभी लोग जाती-धर्म भूल कर एक-दूसरे को रंग लगते है। सभी मित्र-रिश्तेदार काम से छुट्टी लेकर एकसाथ मिलते है। 

वर्तमान समय में इसमें कुछ दोष आ गया है जैसे रासायनिक रंग और गुलाल जो त्वचा को हानि पहुंचते है का प्रयोग, जबरन किसी को भी रंग व नालियों में डूबो देना। 

उत्साह से भरे इस त्योहार को हमें पारम्परिक रंगों और गुलालों से ही मनाना चाहिए, ताकि यह परंपरा अमर रहे।

होली पर निबंध 250 शब्द (Paragraph on holi )

रंग और गुलाल का त्योहार होली हर वर्ष फाल्गुन माह के पूर्णिमा के दिन बड़े उत्साह से पूरे देश में मनाया जाता है।हिन्दुओं का यह त्योहार पूरे भारत में अतिलोकप्रिय है। उत्तर प्रदेश के मथुरा में मनाई जाने वाली होली में, शामिल होने के लिए देश-विदेश से लोग आते हैं।  

पौराणिक कथाओं के अनुसार होली का प्रारम्भ सतयुग में हुआ था। कथा के अनुसार राजा हिरणकश्यप खुद को भगवान मानता था और अपनी जनता से जबरन खुद की  करवाता था। कालांतर में उसे प्रह्लाद नमक एक पुत्र हुआ। प्रह्लाद विष्णु को अपना भगवान मानता था, इसलिए पिता ने उसे अपनी बहन होलिका से उसे ख़त्म करने को कहा। माना जाता है कि भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रह्लाद को बचाकर राक्षसी होलिका को दण्डित किया था। होलिका की मृत्यु की ख़ुशी में सभी लोग एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगाकर उत्सव मनाया था। 

होली की पूर्व रात को होलिका दहन किया जाता है। अगली सुबह सभी इकट्ठे होकर रंग और गुलाल एक-दूसरे को लगाकर बधाई देते है। सभी अपने पुराने झगड़े भूलकर आपस में गले मिलते हैं। बच्चे सुन्दर-सुन्दर पिचकारी ले कर पूरे गांव में घूम-घूमकर सभी को रंग लगाते हैं। 

होली का त्योहार प्रेम और भाईचारे का त्योहार है, सभी लोग जाती-धर्म भूल कर एक-दूसरे को रंग लगते है। सभी मित्र-रिश्तेदार काम से छुट्टी लेकर एकसाथ मिलते है।

वर्तमान समय में इसमें कुछ दोष आ गया है जैसे रासायनिक रंग और गुलाल जो त्वचा को हानि पहुंचते है का प्रयोग, जबरन किसी को भी रंग व नालियों में डूबो देना। उत्साह से भरे इस त्योहार को हमें पारम्परिक रंगों और गुलालों से ही मनाना चाहिए। 

मेरा प्रिय त्योहार होली निबंध हिंदी (होली पर निबंध 500 शब्द)

त्योहारों का देश भारत में होली रंगों का त्योहार है। इस त्योहार में सभी एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगाते है। प्रेम और भाईचारे का यह पर्व फाल्गुन महीने में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। हिन्दुओं का यह त्योहार पूरे भारत में अतिलोकप्रिय है। उत्तर प्रदेश के मथुरा में मनाई जाने वाली होली में, शामिल होने के लिए देश-विदेश से लोग आते हैं।  

पौराणिक कथा की माने तो होली का प्रारम्भ सतयुग में हुआ था। कहा जाता है की सतयुग में हिरण्यकश्यप नामक एक राक्षस राजा था, जो खुद को भगवान मानता था और सभी से उसकी की पूजा करने को कहता था। जो व्यक्ति उसकी पूजा नहीं करता वह उसे मौत के घाट उतर देता था। परन्तु कालांतर में उसको एक बेटा हुआ 'प्रह्लाद'। प्रह्लाद विष्णु को भगवान मानता था और उसी की पूजा करता था। बहुत समझाने के बाद भी वह नहीं माना। इसलिए पिता ने अपनी बहन होलिका की सहायता से प्रह्लाद को जलाकर मरना चाहा था। होलिका के पास एक चमत्कारी चादर था जो आग से उसकी रक्षा करता था। पूर्णिमा की रात होलिका प्रह्लाद को लेकर जलती चिता में बैठ गयी। भगवान विष्णु की कृपा से चादर प्रह्लाद से लिपट गया और होलिका आग में जल कर भस्म हो गयी। अगली सुबह सभी लोगों ने ख़ुशी से एक-दूसरे को रंग और गुलाल लगाकर इसे एक उत्सव की तरह मनाया। तब से आज तक यह पर्व चलती आ रही है। 

होली के एक दिन पूर्व लोग होलिका की एक पुतला बना कर उसे पुरे गांव में घुमाते है और सभी घरों से लकड़ी या जलावन का सामान लेते हैं। पुतले को गांव से दूर ले जाकर जलाया जाता है। अगली सुबह सभी इकट्ठे होकर रंग और गुलाल एक-दूसरे को लगाकर बधाई देते है। सभी अपने पुराने झगड़े भूलकर आपस में गले मिलते हैं। बच्चे सुन्दर-सुन्दर पिचकारी ले कर पूरे गांव में घूम-घूमकर सभी को रंग लगाते हैं। 

संध्या के समय सभी नए वस्र पहन कर गुलाल खेलते हैं। सभी बड़े-बुजुर्ग से आशीष लेते है। सभी अपने घरों में मित्रों व रिश्तेदारों के लिए स्वादिष्ट पकवान बनाते है और मिलकर इसका आनंद लेते हैं। इसी के साथ हर्ष और उल्लास का यह त्योहार समाप्त हो जाता है।  

प्रेम और भाईचारे का यह पर्व सभी में नई ऊर्जा भर कर जाता है। इस त्योहार में सभी जाति-धर्म भूलकर एक-दूसरे को गले लगाते हैं। बच्चे-बूढ़े सभी उम्र की सीमा को भूलकर ख़ुशी से इस उत्सव का आनन्द लेते है। 

आधुनिक समय में हर्ष-उल्लास से भरे इस त्योहार में कुछ खामियाँ आ गयी जैसे लोग होली के दिन शराब का सेवन करते है, किसी भी व्यक्ति को जबरन रंग लगा देते है, जबरन व्यक्ति को कीचड़ तथा गंदी नालियों में डूबोया जाता है, कपड़े फाड़ कर लज्जित किया जाता है, लड़कियों को छेड़ा जाने लगा है। व्यापारी भी अधिक लाभ के लिए हानिकारक रासायनिक रंगों को बेचने लगे है।  बच्चे गुब्बारे में रंग डाल कर दूर से एक-दूसरे को मरते है, जिससे कभी-कभी गंभीर चोट भी लग जाती हैं। 

इन प्रकार के गंदे खेलों से हमें बचना चाहिए और पारम्परिक ढंग से इस उत्सव को मनाना चाहिए। इससे आने वाली पीढ़ी अपनी परम्परा को ना भूले। 

FAQ 

Q. होली कब से और क्यों मनाई जाती है? (Holi par lekh)

A- यह पर्व फाल्गुन महीने में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। 

पौराणिक कथा की माने तो होली का प्रारम्भ सतयुग में हुआ था। कहा जाता है की सतयुग में हिरण्यकश्यप नामक एक राक्षस राजा था, जो खुद को भगवान मानता था और सभी से उसकी की पूजा करने को कहता था। जो व्यक्ति उसकी पूजा नहीं करता वह उसे मौत के घाट उतर देता था। परन्तु कालांतर में उसको एक बेटा हुआ 'प्रह्लाद'। प्रह्लाद विष्णु को भगवान मानता था और उसी की पूजा करता था। बहुत समझाने के बाद भी वह नहीं माना। इसलिए पिता ने अपनी बहन होलिका की सहायता से प्रह्लाद को जलाकर मरना चाहा था। होलिका के पास एक चमत्कारी चादर था जो आग से उसकी रक्षा करता था। पूर्णिमा की रात होलिका प्रह्लाद को लेकर जलती चिता में बैठ गयी। भगवान विष्णु की कृपा से चादर प्रह्लाद से लिपट गया और होलिका आग में जल कर भस्म हो गयी। अगली सुबह सभी लोगों ने ख़ुशी से एक-दूसरे को रंग और गुलाल लगाकर इसे एक उत्सव की तरह मनाया। तब से आज तक यह पर्व चलती आ रही है। 

Q. क्यों मनाया जाता है होलिका दहन ? (Holi ke bare mein nibandh)

A- होलिका वध और विष्णु भक्त प्रह्लाद के बचने की ख़ुशी मानाने के लिए सभी लोगों ने रंग और गुलाल का प्रयोग किया था, इसीलिए आज भी होली की पूर्व संध्या को होलिका दहन किया जाता है। विस्तार से जानने के लिए उपयुक्त उत्तर को पढ़े। 

Q. होली के त्यौहार का क्या महत्व है ? (Holi par anuched)

A-प्रेम और भाईचारे का यह पर्व सभी में नई ऊर्जा भर कर जाता है। इस त्योहार में सभी जाति-धर्म भूलकर एक-दूसरे को गले लगाते हैं। बच्चे-बूढ़े सभी उम्र की सीमा को भूलकर ख़ुशी से इस उत्सव का आनन्द लेते है। 

Q.होली के त्यौहार पर क्या क्या किया जाता है कोई पांच बातें बताइए? (Holi ka nibandh in hindi)

A- होली के एक दिन पूर्व लोग होलिका की एक पुतला बना कर उसे पुरे गांव में घुमाते है और सभी घरों से लकड़ी या जलावन का सामान लेते हैं। पुतले को गांव से दूर ले जाकर जलाया जाता है। अगली सुबह सभी इकट्ठे होकर रंग और गुलाल एक-दूसरे को लगाकर बधाई देते है। सभी अपने पुराने झगड़े भूलकर आपस में गले मिलते हैं। बच्चे सुन्दर-सुन्दर पिचकारी ले कर पूरे गांव में घूम-घूमकर सभी को रंग लगाते हैं। संध्या के समय सभी नए वस्र पहन कर गुलाल खेलते हैं। सभी बड़े-बुजुर्ग से आशीष लेते है। सभी अपने घरों में मित्रों व रिश्तेदारों के लिए स्वादिष्ट पकवान बनाते है और मिलकर इसका आनंद लेते हैं। इसी के साथ हर्ष और उल्लास का यह त्योहार समाप्त हो जाता है।

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