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विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध 100, 250 और 500 शब्दों में | Vidyarthi aur anushasan par nibandh hindi mein

विद्यालय में अनुशासन पर निबंध कक्षा 6 से 12 तक के विद्ध्यार्थियों को पूछा जाता है।  विद्यार्थी जीवन अनुशासन 250 शब्दों में निबंध छोटे बच्चो को जबकि छात्रों में अनुशासनहीनता पर निबंध पर ही ऊंचे कक्षा के स्टूडेंट को विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध 300 शब्दों में पूछे जाते है।




500 शब्दों में विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध 

अनुशासन का अर्थ 

अनुशासन का अर्थ जीवन को व्यवस्थित और नियंत्रित रखने का एक तरीका है। आप किसी भी क्षेत्र क्यों ना हो आपमें अनुशासन का होना आवश्यक है। अनुशासन के बिना आप सफल नहीं हो सकते। हमें इसकी शुरुआत विद्यार्थी जीवन से ही होनी चाहिए। अनुशासन के बिना विद्यार्थी अपने लक्ष्य से भटक सकता है। 

अनुशासन का महत्त्व 

विद्यार्थी-जीवन काल जीवन का प्रारंभिक समय होता है। यह समय ज्ञान प्राप्त कर पूरे जीवन को ख़ुशियों के प्रकाश से भरने का समय होता है। यदि आप इसी समय अनुशासन के महत्व को समझ लेते है तो आप अपने पूरे जीवन को आसानी से सफल बना सकते है। यदि आप इस समय अनुशासनहीनता को चुनते है तो आपके सारे रंगीन सपने बदरंग हो जाएंगे क्यूंकि इस समय आप जिस चीज की आदत बनाते है वह स्थायी होते है। अतः अपनी जीवन की आधारशिला में सावधानी रखें।  

 

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अनुशासनहीनता का कारण 

आज विद्यार्थीयों का जीवन कलुषित नजर आता है तथा इसका जिम्मेदार हमारा सामाजिक परिवेश है। विद्यार्थी जन्म से अनुशासनहीन नहीं हो सकते, ये उसके दूषित परिवेश की उपज होती है। आज की शिक्षा प्रणाली भी हीनता में अपना योगदान दे रही है। हमारी शिक्षा प्रणाली चरित्र निर्माण, उच्च जीवनशैली और संस्कार का निर्माण नहीं करती। आधुनिक आविष्कार, यंत्र, दूरदर्शन, फिल्म के कारण विद्यार्थियों में अनुशासनहीनता बढ़ रही हैं। 

आज विद्यार्थी फिल्मों में दिखाए अभिनय को सच मान कर उसकी नक़ल करते है। उनके नकारत्मक विचारों से प्रभावित होते है। टेलीविजन में आज के धारावाहिक काफी नकारत्मक विचारों से भरे होते है। समाचार पत्रों में भी ज्यादातर समाचार नकारत्मक होते हैं। ऐसा लगता है मानो हम विद्यार्थियों को नकारत्मक विचार परोश रहे है। 

विद्यार्थियों में टेलीविजन, समाचारपत्रों, मोबाइल इत्यादियों के विज्ञापन भी काफी नकारत्मक प्रभाव पड़ रहा है क्यूंकि इसमें उत्तेजित करने वाले तस्वीरें होते है। विद्यार्थी जिस अभिनेता को अपना आदर्श सझते है उसे नकारात्मक अभिनय करते देखते है। 

शिक्षा प्रांगण में राजनीति भी इसका एक कारण बना हुआ है। विद्यार्थी आज-कल नकारत्मक राजनीति भी करने पर उतारू है, झूठ, लड़ाई-झगड़े से चुनाव जीतना चाहते है। विद्यार्थी अपना यूनियन बनाकर बेतूकी बातें मनवाते है। परीक्षा भी मेहनत से पास करने के बजाए नक़ल करने के नए-नए तरीके ढूंढ रहे हैं। शिक्षकों के प्रति उनके मन में कोई सम्मान की भावना नहीं होती। वर्तमान समय में उपयुक्त करने के अलावे अनेक कारण है, जिससे आज विद्यार्थियों में अनुशासनहीनता दिखाई मिलती है। 

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उपाय 

विद्यार्थियों में अनुशासनहीनता का होना देश के भविष्य के लिए खतरे की घण्टी  सामान है। इससे आपराधिक घटनाएँ बढ़ेंगी, साथ ही समाज में शांति भी नहीं रहेगी। दिशाहीन युवा अराजकता का रास्ता चुनेंगे। अतः अनुशासन के लिए उचित कदम उठाने चाहिए। 

विद्यार्थी जीवन का प्रारंभिक समय निर्माण का समय होता है। हमें इस समय पर उनके चरित्र निर्माण, उच्च संस्कार तथा सकारत्मक विचार भरना चाहिए। यथा संभव नकारत्मकता से उन्हें दूर रखना चाहिए। 

उनके पाठ्यक्रम में एक विषय उनके चरित्र निर्माण के लिए होना चाहिए, जो उनमें अच्छे विचारों का बीजारोपण करें। शिक्षकों को भी उन्हें अनुशासन के महत्त्व को समझाना चाहिए। 

विद्यार्थी वाही सीखते है जो वह देखते है, अतः उनके सम्मुख हमें भी अच्छा आचरण रखना चाहिए तथा अनुशासित जीवन का पालन करना चाहिए।


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250 शब्दों में विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध 

विद्यार्थी, जीवन का महत्वपूर्ण चरण जब हम बाल्यावस्था से निकल कर शिक्षा ग्रहण करने जाते है। इस काल में हम जीवन की मजबूत नींव रखना शुरू करते है और वह सारी चीजें सीखना शुरू करते है, जिससे हमारा सम्पूर्ण जीवन सफल और सुखमय बना सके। विद्यार्थी जीवन में अनुशासन अनिवार्य गुण होता है, इसके बिना सफलता असंभव है। 

अनुशासन जीवन को व्यवस्थित और आपके को समय उद्देशयपूर्ण बनाता है। इसके आभाव से अपरिपक्व विद्यार्थी पथ से भटक सकते है और अपना कीमती समय बर्बाद कर लेते है। इसके बिना सपनों को सच करना असंभव है।

आज विद्यार्थियों की दशा दयनीय होती जा रही है, इसके लिए उत्तरदायी है हमारा नकारात्मक होता समाज। आज विद्यार्थी की अनुशासनहीनता गंदे परिवेश की उपज है। हमारी आधुनिक शिक्षा प्रणाली चरित्र निर्माण, नैतिक शिक्षा, उच्च संस्कार और जीवनशैली से कोशों दूर हो गई है। समाचार पत्र, टेलीविजन, चलचित्र इत्यादि में नकारात्मकता और उत्तेजना को भड़काने वालों का उदाहरण बन गया है। विद्यार्थी अभिनेताओं की नक़ल करने लगे है, उनकी नकारत्मकता उन्हें प्रेरित करती है। वे अभिनेताओं के अभिनय को सच मानने लगे है। शिक्षा संस्था में राजनीति भी अनुशासनहीनता का एक प्रमुख कारण है। 

विद्यार्थी जीवन, जीवन का निर्माण का समय होता है। इस समय जीवन को अनुशासित और उद्देश्यपूर्ण बनाना आवश्यक होता है। इसके लिए सभी को आगे आना होगा और विद्यार्थियों को बेहतर परिवेश देना होगा। 

अनुशासनहीन विद्यार्थी समाज के लिए खतरा बन सकता है। अतः उन्हें अनुशासित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने होंगे। विद्यार्थियों को भी अनुशासन के महत्व को समझकर स्वयं को अनुशासित करना चाहिए। 

100 शब्दों में विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध 

अनुशासन, जीवन को सफल बनाने के लिए आवश्यक गुणों में से एक है। अनुशासन के बिना सफलता की कल्पना किसी मजाक के सामान है। विद्यार्थी जीवन में अनुशासन अनिवार्य होता है क्यूंकि पूरी जीवन की आधारशीला इसी समय रखी जाती है।  

आज के समय विद्यार्थियों में अनुशासनहीनता बढ़ रही है। इसके लिए टेलीविजन, मोबाइल, इंटरनेट, समाचार पत्रों के विज्ञापन तथा सामाजिक परिवेश जिम्मेदार है। वर्तमान में समाज काफी नकारात्मक विचारों से भरा पड़ा है।

विद्यार्थियों को अनुशासन के महत्त्व को समझाना चाहिए। पाठ्यक्रमों में चरित्र निर्माण से समबन्धित एक विषय होना चाहिए। इससे उन्हें अनुशासन के महत्व को समझ सकेंगे। 

Vidyarthi aur anushasan
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500 शब्दों में विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध (Vidyarthi aur anushasan par nibandh hindi mein) सभी कक्षा में तथा hindi nibandh कई प्रतियोगिता परीक्षा में पूछे जाते है।




 

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